नारी ! तेरे हास मे जीवन निर्झर का संगीत है. रवीन्द्र नाथ टैगोर नारी तूमे केवाल श्रध्दा हो. जयशंकर प्रषाद नारी बड़े से बड़ा दुख होने पर न्ही मुस्कराहट लेकर सह लेती है. महात्मा गाँधी पुरुष विजय का भूखा होता है नारी समरपन की, पुरूस लूटना चाहता है स्त्री लूट जाना। महादेवी वर्मा मनुष्य की …